मेरी विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों को पढने का एक मात्र स्थान

Tuesday 21 February 2012

हम भिखारी हैं





आप को देखा-लगा कोई हमारा मिल गया
यूँ लगा- जैसे हमें जीवन दुबारा मिल गया

हम भिखारी हैं मगर तुम हो बढ़े दाता प्रभो ,
तुम मिले दौलत भरा हमको पिटारा मिल गया

हम अजर हैं हम अमर हैं आत्मा मरती नहीं ,
सुन लगा गीता से हमको यह इशारा मिल गया

हर किसी के वास्ते चाहे नहीं होती कृपा ,
आँख अपनी खोलते दर्शन तुम्हारा मिल गया

हूर कोई देखता हूँ तो मुझे ऐसा लगे ,
हूर के इस रूप में तेरा शरारा मिल गया

सब जगह मौजूद है पर आँख से दिखता नहीं ,
याद जैसे ही किया मोहन दुलारा मिल गया

आँच आ सकती नहीं उसको कभी संसार में ,
राम के बस नाम का जिसको सहारा मिल गया



Thursday 2 February 2012

लड़ रहे नेता यहाँ संसद भवन में





मौत की तुमको निशानी दीखती है 
हर तरफ हमको जवानी दीखती है 

तुम घिरे हो यूँ सदा ग़म के भँवर में ,
पर हमें ग़म में रवानी दीखती है 

हर तरफ कांटे दिखें तुमको चमन में ,
बस  हमें  तो  बागबानी  दीखती  है 

दिल तुम्हारे  में  बसा है  खौफ़  कैसा  ,
खौफ़  में  हमको  खानी  दीखती  है 

माजरा सब सोच का है कुछ नहीं है ,
सोच  से  दुनिया सुहानी दीखती है 

सीख जाएँ प्यार करना गर वतन से ,
फिर वतन पर जां गवानी दीखती है 


क्या  नई   है  बेवफाई  की  कहानी,
रीति यह सदियों पुरानी दीखती है 

जो मिला मुझ को कभी सोचा नहीं था ,
यह  खुदा  की  मेहरबानी  दीखती है 

लड़ रहे नेता यहाँ संसद  भवन में  ,
देश  की  यह  राजधानी  दीखती  है