कृष्ण खड़े हैं देखते ,राधा ही की बाट |
होली के मिस रंग की ,लगा रखी है हाट ||
होली के त्यौहार की ,बड़ी अजब हे बात |
आपस में लगते गले,जो लड़ते दिन रात ||
होली के हुडदंग में ,सुंदर होता खेल |
लट्ठमार दिन भर करें,और शाम को मेल ||
होली भर्ती है सदा,सब के मन में प्यार |
और कराता मेल भी ,होली का त्यौहार ||
होली खेलो प्रेम से ,होगा नहीं मलाल |
जिसको चाहो तुम रंगो,सब होते खुशहाल ||
रंगों से सब मुहं पुते,लगते एक समान |
कौन बड़ा,छोटा यहाँ,कहाँ रही पहचान ||
मिलकर होली खेलते,गोपी-ग्वाले-श्याम |
नन्द-यशोदा के यहाँ,मचा हुआ कुहराम ||
सतरंगी होली सदा ,दिल लेती है जीत |
दुश्मन भी यदि खेलते,बन जाते हैं मीत ||
होली का देखा यहाँ,हमने ऐसा रूप |
कैसा भी हो चेहरा,लगता एक स्वरुप ||
होली के त्यौहार में,खूब लगाएं रंग |
दुश्मन हो या मीत हो,खेलें सब के संग ||