मौत की तुमको निशानी दीखती है
हर तरफ हमको जवानी दीखती है
तुम घिरे हो यूँ सदा ग़म के भँवर में ,
पर हमें ग़म में रवानी दीखती है
हर तरफ कांटे दिखें तुमको चमन में ,
बस हमें तो बागबानी दीखती है
दिल तुम्हारे में बसा है खौफ़ कैसा ,
खौफ़ में हमको खानी दीखती है
माजरा सब सोच का है कुछ नहीं है ,
सोच से दुनिया सुहानी दीखती है
सीख जाएँ प्यार करना गर वतन से ,
फिर वतन पर जां गवानी दीखती है
क्या नई है बेवफाई की कहानी,
क्या नई है बेवफाई की कहानी,
रीति यह सदियों पुरानी दीखती है
जो मिला मुझ को कभी सोचा नहीं था ,
यह खुदा की मेहरबानी दीखती है
लड़ रहे नेता यहाँ संसद भवन में ,
देश की यह राजधानी दीखती है
माजरा सब सोच का है कुछ नहीं है ,
ReplyDeleteसोच से दुनिया सुहानी दीखती है
बहुत अर्थपूर्ण पंक्तियाँ ,
Dude@ ye poet to newspapar ke front page par hona chahiye
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