आग पानी में लगाई जा रही है
इस तरह डोली सजाई जा रही है
हो सके निर्माण महँगी होटलों का ,
दीन की बस्ती जलाई जा रही है
रोज़ दौरे देश के,परदेस के कर ,
देश की दौलत उड़ाई जा रही है
ले कमीशन तोप की, ताबूत की अब,
मुल्क की लुटिया डुबोई जा रही है
खून प़ी कर खून के रिश्ते निभाते ,
रीत क्यों उल्टी चलाई जा रही है
आज फैशन के बहाने अर्धनंगी ,
रैम्प पर लड़की घुमाई जा रही है
मौत का भी डर नहीं है अब किसी को,
पाप से दौलत कमाई जा रही है
Ek puraanee lakeer ko peetate rahane ke sthaan par kuchh naI soch ke saath likhen to aap ko sabhee naman karenge
ReplyDeleteआप ने अपना कीमती समय निकाल कर मेरी ग़ज़ल को पढ़ा और अपनी अमूल्य सलाह मुझे दी मैं आप का आभारी हूँ |
ReplyDeleteमैं इस पर चलने की पूरी कोशिश करूँ गा |धन्यवाद