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Monday 30 January 2012

रैम्प पर लड़की घुमाई जा रही है




                                               
आग पानी में लगाई जा रही है 
इस तरह डोली सजाई जा रही है 

हो सके निर्माण महँगी होटलों का ,
दीन की बस्ती जलाई जा रही है 

रोज़ दौरे देश के,परदेस के कर ,
देश की दौलत उड़ाई जा रही है 

ले कमीशन तोप की, ताबूत की अब,
मुल्क की लुटिया डुबोई जा रही है 

खून प़ी कर खून के रिश्ते निभाते ,
रीत क्यों उल्टी चलाई जा रही है 

आज फैशन के बहाने अर्धनंगी ,
रैम्प पर लड़की घुमाई जा रही है 

मौत का भी डर नहीं है अब किसी को,
पाप से दौलत कमाई जा रही है 








2 comments:

  1. Ek puraanee lakeer ko peetate rahane ke sthaan par kuchh naI soch ke saath likhen to aap ko sabhee naman karenge

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  2. आप ने अपना कीमती समय निकाल कर मेरी ग़ज़ल को पढ़ा और अपनी अमूल्य सलाह मुझे दी मैं आप का आभारी हूँ |
    मैं इस पर चलने की पूरी कोशिश करूँ गा |धन्यवाद

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